विमानन क्षेत्र पर खतरनाक सिग्नल दे रहा डीजीसीए का सेफ्टी ऑडिट

ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली।देश के सबसे व्यस्त दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर एविएशन रेगुलेटर अथॉरिटी (डीजीसीए) यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 20 और 21 जून को सेफ्टी ऑडिट किया था। डीजीसीए भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक प्रमुख नियामक संस्था है। इसका मुख्य कार्य भारत में नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करना, सुरक्षित बनाना और सुव्यवस्थित रूप से संचालन सुनिश्चित करना है।
डीजीसीए का यह ऑडिट चौंकाने वाला तो है ही, साथ ही आंखें खोलने वाला भी है। यात्री अपनी मेहनत की कमाई से मोटे किरायों का भुगतान करते हैं और एयरलाइंसों के सही रखरखाव के भरोसे पर ही उनके विमानों में यात्रा करते हैं पर ये एयरलाइंस यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही हैं जिस पर तुरंत सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी एयरलाइनों के नाम भी उजागर करे। इसके साथ ही विमानों के रखरखाव की मॉनीटरिंग की प्रणाली भी सख्त की जाए ताकि यात्रियों का विश्वास बहाल हो सके और उनका जीवन सुरक्षित।
सेफ्टी ऑडिट में पाया गया कि एक शेड्यूल एयरलाइन यात्रियों की जान को दांव पर लगाते हुए घिसे हुए टायरों के साथ फ्लाइट का टेकऑफ करा रही थी। इसे तुरंत रोका गया। ऑडिट में अन्य कई गंभीर कमियां भी सामने आई हैं जो बताती हैं कि देश में यात्रियों की जिंदगियों को खतरे में डालते हुए फ्लाइटों की टेकऑफ और लैंडिंग कराई जा रही है। ये कमियां तो 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट के क्रैश होने के बाद सामने आई हैं। एक एयरपोर्ट पर रनवे की सेंटर लाइन मार्किंग फीकी पाई गई। इससे रनवे पर लैंड करते वक्त खासतौर से खराब मौसम के दौरान पायलट गलती कर सकता है। – शेष पेज 11 पर
रै पिड एग्जिट टैक्सी-वे की हरी सेंटर लाइन ठीक नहीं थी। कई तरह के डेटा तीन साल से अपडेट ही नहीं किए गए थे। एयरपोर्ट के अंदर कई गाड़ियां बिना स्पीड गवर्नर के चलती पाई गईं ं। ग्राउंड हैंडलिंग में भी कई तरह की कमियां देखी गई थीं। सामान ढोने वाली ट्रॉलियां और दूसरी गाड़ियां भी खराब मिलीं।
एक जगह प्लेन उड़ाने के लिए जरूरी सिम्युलेटर ट्रेनिंग में उस एयरक्राफ्ट को उड़ाने और उसकी तमाम कमांड को समझने वाले जिस सिम्युलेटर पर पायलटों को ट्रेनिंग दी जा रही थी, असल में वह सिम्युलेटर उस एयरक्राफ्ट के कन्फिगरेशन से मेल ही नहीं खा रहा था। ऐसे में पायलटों को यह पता ही नहीं लग पाएगा कि उड़ान के दौरान अगर इमरजेंसी के हालात बनते हैं तो वह उससे कैसे निपटा जाएगा। एयरक्राफ्ट के मेंटिनेंस के दौरान इंजीनियर द्वारा एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस मैनुअल का पालन नहीं किया जा रहा था। कुछ जगहों पर एयरक्राफ्ट इंजीनियर हवाई जहाजों की खराबी को दूर करने के लिए मौजूद नहीं थे। हवाई जहाज में बताई जाने वाली खराबियों की रिपोर्ट को टेक्निकल लॉग बुक में दर्ज तक नहीं किया गया था।


– घिसे टायर के साथ उड़ान भर रहे प्लेन !
– एयरलाइंस यात्रियों के जीवन से कर रहीं खिलवाड़
– कई तरह के डेटा तीन साल से अपडेट ही नहीं

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