प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक विदेश यात्रा
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपने अब तक के सबसे लंबे विदेश दौरे पर हैं। ये नौ दिनों की यात्रा 2 जुलाई से शुरू होकर 9 जुलाई तक चलेगी, जिसमें वो पांच अहम देशों, घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा का मकसद है भारत के संबंधों को ग्लोबल साउथ यानी अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों के साथ और मजबूत करना और साथ ही ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की भागीदारी को मजबूती देना।
घाना में रिश्तों को मिली नई ऊंचाई
प्रधानमंत्री मोदी का पहला पड़ाव रहा घाना, जहां उनका संसद में ऐतिहासिक भाषण हुआ और उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना” से नवाजा गया।
भारत और घाना के रिश्तों को अब “कंप्रिहेंसिव पार्टनरशिप” के स्तर तक बढ़ा दिया गया है। दोनों देशों ने चार अहम समझौते किए हैं- संस्कृति, पारंपरिक चिकित्सा, स्टैंडर्ड्स में सहयोग और एक संयुक्त आयोग की स्थापना को लेकर। इसके अलावा, भारत ने डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई को घाना में लागू करने पर भी बातचीत शुरू कर दी है।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में संसद को किया संबोधित, भारतीय मूल के लोगों से जुड़े
अगला पड़ाव था त्रिनिदाद एंड टोबैगो, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने वहां की संसद को संबोधित किया और दोनों देशों की साझा विरासत पर बात की।
ये दौरा दोनों देशों के बीच लोकतंत्र, संस्कृति और लोगों के रिश्तों को और गहराई देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। हालांकि इस दौरान कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ, लेकिन शिक्षा, टेक्नोलॉजी और हेल्थ सेक्टर में आगे सहयोग पर जोर दिया गया।
अर्जेंटीना में ऊर्जा, खनिज और
निवेश पर हुई अहम बातचीत
तीसरे पड़ाव अर्जेंटीना में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेवियर मिली के बीच व्यापक बातचीत हुई। दोनों देशों ने तेल, गैस, लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज, कृषि और अंतरिक्ष सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत अब अर्जेंटीना में लिथियम माइनिंग में निवेश कर सकता है, जो भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल और मोबाइल निर्माण योजनाओं के लिए बेहद जरूरी है।
ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन, सामरिक
समझौतों की तैयारी
प्रधानमंत्री मोदी अब रियो डी जेनेरो में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा से द्विपक्षीय बातचीत की। दोनों देशों के बीच दो बड़े समझौते की तैयारी है-
nएक रक्षा क्षेत्र में संयुक्त निर्माण और तकनीक हस्तांतरण को लेकर
nदूसरा खुफिया जानकारी साझा करने के लिए, जो आतंकवाद से लड़ाई में मददगार होगा।
ब्राजील में भारत की यह सक्रिय भूमिका यह दिखाती है कि भारत अब केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ की आवाज बन चुका है।
नामीबिया में सतत विकास और
खनिज सहयोग पर बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी का आखिरी पड़ाव है नामीबिया, जहां वे संसद को संबोधित करेंगे और सस्टेनेबल डेवलपमेंट, डिजिटल कनेक्टिविटी, क्लाइमेट एक्शन और मिनरल एक्सप्लोरेशन पर भारत-नामीबिया सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में चर्चा करेंगे।
इस यात्रा का बड़ा मतलब क्या है?
यह दौरा सिर्फ विदेश नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच का परिचायक है।
इस यात्रा के जरिए भारत:
नई मार्केट्स तक पहुंच बना रहा है
क्रिटिकल मिनरल्स और ऊर्जा संसाधनों में साझेदारी कर रहा है
डिजिटल इंडिया मॉडल को विदेशों में ले जा रहा है
वैश्विक मंचों पर भारत की सशक्त भूमिका स्थापित कर रहा है
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, ये दौरा प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि भारत की उभरती वैश्विक भूमिका को मजबूत करने की एक सटीक रणनीति है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की यह नौ दिवसीय विदेश यात्रा भारत को ग्लोबल साउथ में नेतृत्व की भूमिका में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। चाहे वो डिजिटल तकनीक हो, रक्षा समझौते हों या ऊर्जा निवेश—भारत हर मोर्चे पर खुद को एक विश्वसनीय भागीदार और रणनीतिक खिलाड़ी के रूप में पेश कर रहा है।
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