महिला सशक्तिकरण में मुख्यमंत्री योगी की नई पहल आधी आबादी पूरा सम्मान

विनोद शील

लखनऊ। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को विश्व स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों और मानवाधिकारों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। लैंगिक असमानता की सतत चुनौतियों का समाधान करने तथा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए वैश्विक, राज्य तथा स्थानीय तीनों स्तरों पर विभिन्न प्रयास और पहल की जा रही है। इन प्रयासों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक भागीदारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं एवं लड़कियों के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन सहित कई क्षेत्र शामिल हैं।
वैसे तो आजादी के बाद देश की इन स्थितियों में सुधार की कोशिशें हुईं लेकिन हालिया समय में इस क्षेत्र में पहल तेज हुई है। इसके लिए समाज के मानव संसाधन को लगातार बेहतर, मजबूत व सशक्त किया जा रहा है और समाज की आधी आबादी स्त्रियों की है, इस बाबत उनके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि यदि किसी समाज की प्रगति के बारे में सही-सही जानना है तो उस समाज की स्त्रियों की स्थिति के बारे में जानो।
इस दिशा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिला आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित कर रखी हैं। इसी क्रम में सीएम योगी ने एक महिला आर्थिक सशक्तिकरण सूचकांक जारी किया है जिसमें लखनऊ, कानपुर नगर और वाराणसी जिलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है जबकि श्रावस्ती, महोबा, बलरामपुर, संभल और सिद्धार्थनगर पीछे रह गए हैं। उत्तर प्रदेश में पहली बार महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को लेकर एक समग्र रिपोर्ट सामने आई है। योजना विभाग और उदयती फाउंडेशन द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट को “वूमेन इकोनॉमिक एंपॉवरमेंट इंडेक्स (डब्ल्यूईई सूचकांक) ” नाम दिया गया है जो महिलाओं की रोजगार, उद्यमिता, शिक्षा, सुरक्षा और आजीविका जैसे क्षेत्रों में सहभागिता को मापता है।
मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिए हैं कि होमगार्ड एवं शिक्षकों की नई भर्तियों में पुलिस भर्ती की तर्ज पर महिलाओं को वरीयता दी जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह दायित्व है कि महिलाओं को न सिर्फ सम्मान मिले, बल्कि उन्हें सुरक्षा बलों और शासन-प्रशासन की संरचनाओं में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। मुख्यमंत्री ने इसे ‘नारी गरिमा और आत्मनिर्भरता की दिशा में उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक कदम बताया।

रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ, कानपुर नगर और वाराणसी जैसे जिले महिला अनुकूल माहौल देने में अग्रणी हैं। वहीं दूसरी ओर, श्रावस्ती, संभल, महोबा, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर को ऐसे जिले बताया गया है, जहां तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
क्या है डब्ल्यूईई सूचकांक?
डब्ल्यूईई इंडेक्स एक डेटा आधारित टूल है, जिसके जरिए यह पता लगाया गया कि राज्य के किन जिलों में महिलाएं सरकारी योजनाओं और संसाधनों का वास्तविक लाभ उठा पा रही हैं और कहां योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमटी हैं।
पांच प्रमुख मानक जिनके आधार पर 75 जिलों का मूल्यांकन किया गया…
1. उद्यमिता और स्वरोजगार
2. रोजगार में भागीदारी
3. शिक्षा व कौशल विकास
4. आजीविका के अवसर
5. सुरक्षा और परिवहन ढांचा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट जारी होने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि ‘एक जिला-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना में महिलाओं की भागीदारी को प्राथमिकता दी जाए और होमगार्ड, शिक्षिका, बस ड्राइवर और कंडक्टर जैसी नौकरियों में महिलाओं की भर्ती को बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हर जिले में “पुनः नामांकन इकाई” (रि-एनरोलमेंट यूनिट) बनाई जाए ताकि जो महिलाएं किसी कारणवश कौशल प्रशिक्षण या अन्य कार्यक्रमों से बाहर हो गई हैं उन्हें फिर से जोड़ा जा सके।
जमीनी योजनाएं कितनी सफल?
महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं में “लखपति दीदी योजना” शामिल है, जिसके तहत अब तक 17 लाख से अधिक महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाली श्रेणी में शामिल किया जा चुका है। इसी तरह मनरेगा में महिला भागीदारी 2025-26 की पहली तिमाही में 45 प्रतिशत से अधिक रही है, जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। साथ ही, महिलाओं के लिए तकनीकी संस्थानों और पैरामेडिकल प्रशिक्षण केंद्रों की उपलब्धता को भी बढ़ाया जा रहा है ताकि वे स्वास्थ्य सेवा और अन्य सेवा क्षेत्रों में बेहतर अवसर हासिल कर सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि डब्ल्यूईई सूचकांक को मुख्यमंत्री कंट्रोल रूम से जोड़ा जाए और सभी विभाग इसे नीति-निर्माण व निगरानी का आधार बनाएं। उन्होंने कहा कि “जब महिलाएं योजनाओं की धुरी बनेंगी, तभी प्रदेश का समावेशी और संतुलित विकास संभव हो पाएगा।”
इन जिलों में ध्यान की जरूरत
श्रावस्ती, संभल, महोबा, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर जैसे जिले सुरक्षा, शिक्षा और स्वरोज़गार के मोर्चे पर पिछड़ते दिखे हैं। इन क्षेत्रों में योजनाएं तो हैं, लेकिन जमीनी पहुंच और जागरूकता की भारी कमी है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
आर्थिक विशेषज्ञ और नीति विश्लेषक मानते हैं कि डब्ल्यूईई सूचकांक को सीएम कंट्रोल रूम से जोड़ना एक मजबूत कदम है। इससे नीति निर्माण अब और अधिक डेटा-आधारित और लक्षित हो पाएगा।

– सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में जुटी यूपी सरकार
– लखनऊ, कानपुर नगर, वाराणसी शीर्ष पर
– होमगार्ड एवं शिक्षकों की नई भर्तियों में महिलाओं को मिले वरीयता
– एक जिला-एक उत्पाद में भी महिलाओं को दें प्राथमिकता
– मनरेगा में महिला भागीदारी अब तक की सबसे अधिक

राज्य सरकार का दायित्व है कि महिलाओं को न सिर्फ सम्मान मिले, बल्कि उन्हें सुरक्षा बलों और शासन-प्रशासन की संरचनाओं में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।

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