बारिश में रिपोर्टिंग और पर्दे के पीछे की असली कहानी
बारिश को लेकर बचपन से एक अलग ही फैसिनेशन रहा है. बरसात यानी कागज़ की कश्ती, जगजीत सिंह साहब की ग़ज़लें... याद है न वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी... आज जैसे ही घर से निकली, बरसात शुरू हो चुकी थी. कंधे पर बैकपैक, हाथ में अंब्रेला और फुटवियर सावधानी से चुने और निकल पड़ी. सोचा दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में पहुंचकर बारिश में भीगती दिल्ली का सूरत-ए-हाल जानते हैं.
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