'सैयारा' तू तो बदला नहीं है, मौसम जरा सा रूठा हुआ है
प्रेम में संसार खो देने के डर से जो प्रेमद्रोही बन जाते हैं, वह संसार में भी असफल ही रह जाते क्योंकि प्रेम में समर्पण और एकांतिकता आपको पूर्ण मनुष्य बनाता है.
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