गए तो बाजार था, लौटे तो श्मशान... धराली में फंसे केरल के लोगों की आपबीती
'जब हम 5 अगस्त की सुबह गंगोत्री के लिए जा रहे थे, तब हमने धराली में रुककर चाय नाश्ता किया था. लेकिन जब हम लौट रहे थे, तो वहां बाजार का नामोनिशान नहीं था. सबकुछ तबाह हो चुका था. इस जगह को पहचानना भी मुश्किल हो रहा था.'
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