पर्यटन उद्योग को बर्बाद करने की साजिश तो नहीं?
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। यह बड़ी अजीब बात है कि अावारा कुत्तों का तांडव सिर्फ भारत में ही क्यों दिखाई देता है? किसी भी देश में आवारा कुत्तों को सड़कों या रिहायशी इलाकों में रखने की अनुमति नहीं है।
यह एक सामान्य नियम है कि आवारा कुत्तों को सड़कों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। कई देशों में इन्हें आश्रय गृहों में रखा जाता है या उनकी नसबंदी और टीकाकरण करके वापस छोड़ दिया जाता है। कुछ देशों में, आवारा कुत्तों को पकड़कर मार दिया जाता है।
यूरोप व अमेरिका में एक भी स्ट्रीट डॉग नहीं
यह भी आश्चर्यजनक है कि पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंटरनेशनल जिसका मुख्यालय अमेरिका में है और दूसरा सबसे बड़ा मुख्यालय यूरोप में है, वह इन देशों में स्ट्रीट डॉग के लिए आंदोलन क्यों नहीं करता? यूरोप और अमेरिका में सड़क पर कोई भी स्ट्रीट डॉग नजर नहीं आएगा। एक जानकारी के अनुसार फिनलैंड में एस्केलेटर और लिफ्ट बनाने वाली एक कंपनी के कई इंजीनियर जब भारत आ रहे थे तो उनसे मिली जानकारी के अनुसार सभी को फिनलैंड सरकार ने यह दिशा निर्देश िदया था कि स्ट्रीट डॉग से बेहद सावधान रहना है।
उन्हें एक सिरिंज और रेबीज का इंजेक्शन हमेशा अपने पास रखना है। आरोप है कि श्वान प्रेमी संस्थाओं की ओर से बड़े पैमाने पर अवारा कुत्तों के संदर्भ में फंडिंग की जा रही है। यदि अावारा कुत्ते जो कि अत्यधिक आक्रमक होते जा रहे हैं, कहीं-न-कहीं भारत के पर्यटन उद्योग पर भी गंभीर असर डालेंगे और जनमानस में यह आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि कहीं यह भारत के पर्यटन उद्योग को संकट में डालने की कोई साजिश तो नहीं है।
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