विदेशी जी-मेल पर घट रहा भरोसा… देश में अब स्वदेशी जोहो मेल
विनोद शील
नई दिल्ली। स्वदेशी को निरंतर बढ़ावा दे रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अब अपने ईमेल सिस्टम में ऐतिहासिक बदलाव किया है। केंद्र सरकार के लगभग 12 लाख कर्मचारियों के ईमेल प्लेटफॉर्म को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआर्इसी) से हटाकर तमिलनाडु की टेक कंपनी जोहो कॉरपोरेशन को सौंपा गया है। यह कदम आत्मनिर्भर भारत और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है जो इस बात का भी संकेत है की अब विदेशी जीमेल पर भरोसा काम होता जा रहा है और स्वदेशी साधनों पर देश और जनता का विश्वास बढ़ रहा है।
जोहो मेल का इस्तेमाल समय के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है। भारत में कई लोगों ने जीमेल से जोहो मेल पर स्विच कर लिया है। इसे इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है। गृह मंत्री भी जोहो मेल पर स्विच हो गए हैं। हाल ही में जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने बताया है कि 20 सिक्योरिटी ऑडिट के बाद जोहो को सरकार की ईमेल सर्विस के लिए सिलेक्ट किया गया है। इसका मतलब है कि अब सरकार भी ईमेल सर्विस के लिए जोहो मेल का इस्तेमाल करेगी। जीमेल से जोहो मेल पर शिफ्ट करना बहुत आसान है। जोहो मेल पर हर यूजर को 5जीबी फ्री स्टोरेज भी मिलता है। इसके अलावा, वे अपनी जरूरत के अनुसार अधिक स्टोरेज भी खरीद सकते हैं। इस पर यूजर्स का डेटा भी बहुत सुरक्षित रहता है। जोहो 256-बिट एसएसएल एन्िक्रप्शन का इस्तेमाल करता है जो आपके डेटा को चोरी होने से बचाता है। इसके अलावा भी जोहो मेल में कई धमाकेदार फीचर्स मिलते हैं। यह स्वदेशी एप संस्कृत समेत कई भाषाओं को भी सपोर्ट करता है। इसका प्रयोग कुल 73 भाषाओं में कर सकते हैं। यह भारत की कई रीजनल भाषाओं में उपयोग किया जा सकता है। इसमें मैथिली और मराठी का सपोर्ट भी है।
इसका मतलब है कि अगर आप अंग्रेजी नहीं जानते हैं तब भी अपनी स्थानीय भाषा में जोहो मेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जोहो मेल की सेटिंग में भाषा को बदलने का ऑप्शन मिलता है। आप आसानी से अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी भाषा चुन सकते हैं।
सरकार ने साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए एनआईसी और सीईआरटी-इन से परामर्श किया। साथ ही, सॉफ्टवेयर क्वालिटी सिस्टम्स के जरिए नियमित सिक्योरिटी ऑडिट भी जारी रहेंगे।
जोहो ने संभाली कमान पर डोमेन वही
1976 में स्थापित एनआईसी अब तक सरकारी ईमेल ढांचे की रीढ़ थी। हालांकि अब सात साल के कॉन्ट्रैक्ट के तहत जोहो इसका संचालन करेगा। बावजूद इसके, सरकारी ईमेल पते nic.in और gov.in डोमेन पर ही रहेंगे। जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने हाल ही में स्पष्ट किया कि यूजर्स का डेटा कभी भी मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। कंपनी अपने सभी एप्स में एंड-टू-एंड एन्िक्रप्शन लागू कर रही है।
जोहो मेल का बढ़ा क्रेज
हाल ही में कई लोगों ने जोहो मेल पर अपना अकाउंट बनाया है। जीमेल का विकल्प माने जा रहे जोहो मेल में जीमेल जैसी कई सुविधाएं मिलती हैं। जोहो मेल सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी जोहो मेल पर शिफ्ट किया है और इसकी जानकारी उन्होंने एक्स पर ट्वीट करके दी थी।
चार साल बाद अचानक देश का चर्चित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म बना अरट्टई?
भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो द्वारा विकसित मैसेजिंग एप अरट्टई इन दिनों सोशल मीडिया और टेक जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह वही एप है जो वर्ष 2021 में लॉन्च हुआ था लेकिन उस समय इसे ज्यादा पहचान नहीं मिल सकी थी। अब चार साल बाद यह एप अचानक सुर्खियों में है और भारत में सबसे तेजी से डाउनलोड होने वाले एप्स में शामिल हो गया है।
जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू के अनुसार, अरट्टई एप के रोजाना साइन-अप 3,000 से बढ़कर 3,50,000 तक पहुंच गए, यानी ट्रैफिक में 100 गुना तक की वृद्धि हुई है।
यह उछाल देखकर तकनीकी विशेषज्ञ भी हैरान हैं कि आखिर चार साल से शांत पड़ा यह एप अचानक इतना लोकप्रिय कैसे हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नवंबर में अरट्टई को एक बड़ा अपडेट मिला है। इस अपडेट में कई नए फीचर्स, अधिक क्षमता और यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस जोड़े गए हैं। साथ ही, जोहो ने इस बार सक्रिय मार्केटिंग अभियान भी चलाया, जिससे एप को बड़े स्तर पर पहचान मिली। श्रीधर वेम्बू ने बताया कि इस बार टीम ने एप के अनुभव को भारतीय उपयोगकर्ताओं की जरूरतों के अनुसार बेहतर बनाया है।
अरट्टई एप में अब उपयोगकर्ता टेक्स्ट, फोटो, वीडियो शेयरिंग, ऑडियो और वीडियो कॉलिंग जैसी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं। कॉल पूरी तरह एंड-टू-एंड एन्िक्रप्टेड हैं, जबकि चैट एन्िक्रप्शन भी जल्द आने वाला है। यह एप डेस्कटॉप, स्मार्टफोन और एंड्रॉइड टीवी जैसे कई उपकरणों पर सहजता से काम करता है। वेम्बू ने बताया कि कंपनी जल्द ही अरट्टई को व्यवसायों के लिए एकीकृत करने की योजना बना रही है ताकि यह प्रोफेशनल कम्युनिकेशन टूल के रूप में भी इस्तेमाल हो सके। जोहो की इंजीनियरिंग टीम पिछले 20 वर्षों से इस तरह की तकनीक पर काम कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अरट्टई इसी रफ्तार से लोकप्रियता हासिल करता रहा, तो आने वाले समय में यह व्हाट्सएप के भारतीय विकल्प के रूप में उभर सकता है।
अरट्टई का अर्थ है गपशप, लोगों ने दी नाम बदलने की सलाह
कुछ दिनों पहले तक प्ले स्टोर पर सिर्फ 5 लाख डाउनलोड्स वाले एप अरट्टई को अब 1 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड मिल गए हैं। इसे वॉट्सएप के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। एप की ग्लोबल इमेज बनाने के लिए अरट्टई के नाम को लोगों ने बदलने की सलाह दी है। जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने तमाम भारतीय भाषाओं में अरट्टई का मतलब समझाया है। हिंदी में अरट्टई को गपशप कहा जाना चाहिए।
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