दीवाली में दिखा लोकल का दम
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नवरात्र से शुरू हो कर भारत में महीना भर चलने वाला दिवाली का फेस्टिव सीजन जोरदार ढंग से लोगों के घरों में ही नहीं, बाजारों में भी रौनक ले आया। देश के सभी बाजारों में खूब रौनक दिखाई दे रही है। व्यापारी इस त्योहारी सीजन के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आए। इस बार त्योहारी सीजन की बिक्री 4.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इसके सही आंकड़े तो कुछ दिन बाद ही पता चलेंगे लेकिन कुछ भी हो; यह एक नया रिकॉर्ड होगा।
वैसे इस बार चौंकाने वाली बात यह रही कि इस बिक्री में मुख्य रूप से भारत निर्मित सामान मुख्य रूप से शामिल रहे और चीन लगभग नदारद रहा।
अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3.0 सरकार के जीएसटी 2.0 सुधारों के चलते इस साल त्योहारी मौसम में नवारात्रि से दीपावली ओर उसके बाद छठ तक की खरीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिलेगी। क्रय शक्ति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी और ऐतिहासिक रूप से कम मुद्रास्फीति ने उपभोक्ताओं, विशेष रूप से निम्न और मध्यम वर्ग को अधिक खरीदारी के लिए प्रेरित किया है। इस त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की उम्मीद है, जिसका लाभ व्यापारियों को भी मिलेगा।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ वोकल फॉर लोकल ‘ के आह्वान और जीएसटी दरों में कटौती के कारण यह तेजी आई। साथ ही चीनी सामानों को बाजार से बाहर कर दिया गया है। भारतीय उत्पाद अब बाजारों पर छा गए हैं। यह स्वदेशी व्यापार की एक नई पहचान बन गई है।
पिछले चार सालों में दिवाली की बिक्री में लगातार वृद्धि देखी गई है। साल 2021 में यह बिक्री 1.25 लाख करोड़ रुपये थी। 2022 में यह बढ़कर 2.50 लाख करोड़ रुपये हो गई। साल 2023 में यह आंकड़ा 3.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2024 के लिए 4.25 लाख करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था पर इस साल का अनुमानित आंकड़ा 4.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कहा जा रहा है।
यह आंकड़ा बताता है कि लोग अब स्वदेशी चीजों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। दिल्ली में त्योहारी बिक्री 75 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
सीएआईटी के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एक सर्वे के अनुसार, इस साल की बिक्री में तेजी के दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वदेशी के लिए आह्वान है। उनका ‘वोकल फॉर लोकल – लोकल फॉर ग्लोबल’ का विचार लोगों को बहुत पसंद आया। दूसरा कारण हाल ही में जीएसटी दर में की गई बड़ी कटौती है। यह कटौती व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए त्योहारी उपहार जैसी साबित हुई
‘भारतीय सामान – हमारा स्वाभिमान’
खंडेलवाल ने कहा, सीएआईटी का एक राष्ट्रीय अभियान चल रहा है। इसका नाम है ‘भारतीय सामान – हमारा स्वाभिमान’। इस अभियान के तहत इस दिवाली को ‘अपनी दिवाली – भारतीय दिवाली’ के रूप में मनाया गया।’ खंडेलवाल ने कहा कि हमेशा की तरह इस साल भी त्योहारों का सिलसिला नवरात्र से शुरू हुआ है। यह आगे भी जारी रहेगा। इसमें धनतेरस (18 अक्टूबर), नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर), दिवाली (20 अक्टूबर), गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर) और भाई दूज (22 अक्टूबर) जैसे त्योहार शामिल हैं। इसके बाद छठ पूजा (25-28 अक्टूबर) और तुलसी विवाह (2 नवंबर) तक यह सिलसिला चलेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में मदद करेगा। ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हरवंश चावला ने कहा कि यह ‘यह त्योहारी सीजन’ऐतिहासिक होगा, जिसमें बिक्री के नए रिकॉर्ड बनेंगे। उन्होंने कहा, “जीएसटी दरों में कमी से आम आदमी की क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है। जब क्रय शक्ति बढ़ती है तो खुदरा मुद्रास्फीति स्वतः कम हो जाती है। यह सरकार की ओर से एक बहुत बड़ा कदम है।”
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