हमारे पूर्वजों ने दुनिया को ज्ञान दिया, न तो राज्यों पर कब्जा किया और न ही जबरन धर्मांतरण कराया: मोहन भागवत
अपने भाषण में मोहन भागवत ने पश्चिमी आलोचकों के उन लेखों का उल्लेख किया, जिनमें भारत और उसके प्राचीन ग्रंथों (पतंजलि व योगवशिष्ठ) की प्रशंसा की गई है. उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि कभी हमें इस मान्यता के लिए पश्चिम का सहारा लेना पड़ा, पर अब हालात बदल रहे हैं और हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए.
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