कीर्तिमान भारत

दीपक द्विवेदी

कीर्तिमानों की लिस्ट यूं तो काफी लंबी है पर आने वाले समय में दुनिया ‘विकसित भारत’ को भी देखेगी; यह हर भरतवासी का विश्वास है।

आज भारत एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है। अभी हाल ही में भारत की बेटियों ने 52 साल के लंबे इंतजार के बाद आईसीसी महिला वन डे विश्व कप क्रिकेट 2025 का खिताब दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हरा कर पहली बार हासिल किया और आसमान में जीत के कीर्तिमान का नया परचम लहरा दिया। इसके अतिरिक्त भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी अंतरिक्ष में एक अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के अब तक के सबसे वजनी उपग्रह का प्रक्षेपण करके वाकई बड़ा इतिहास रच दिया है। इस कामयाबी से इसरो को आगामी महत्वाकांक्षी अभियानों के लिए जरूरी आत्म विश्वास भी मिलेगा। अब पहले बात करते हैं महिला वनडे वर्ल्ड कप की। भारतीय महिला क्रिकेट टीम इससे पहले 2005 और 2017 के बाद इस बार तीसरी बार विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी। 2005 में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 98 रनों की शिकस्त भारतीय टीम को झेलनी पड़ी थी। 2017 में इंग्लैंड ने 9 रन से हराकर भारत को खिताबी ट्रॉफी से दूर कर दिया था पर अब की बार 2025 में भारत की महिला शक्ति ने जो दम-खम दिखाया, उसने प्रतिपक्षी दक्षिण अफ्रीका को घुटनों पर ला दिया। अभी हमने पिछले दिनों उपलब्धियों से भरी शानदार दीपावली मनाई थी और इसके कुछ दिन बाद ही इन भारतीय महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश में देवी दीपावली भी सारे देशवासियों को मनाने का शुभ अवसर प्रदान किया। जिस तरह भारत की पुरुषों की टीम के विश्व विजेता बनने पर देशवासी सड़कों पर उतरकर और पटाखे फोड़ कर खुशी मना मानते हैं, उसी तरह पूरे देश ने भारत की महिलाओं की विजय का जश्न मनाया और भारत की महिला शक्ति के प्रति मान-सम्मान व्यक्त किया।
अब बात करते हैं इसरो के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश के अब तक के सबसे वजनी उपग्रह के प्रक्षेपण की जो वास्तव में इतिहास रचने जैसा है। इसरो ने अपने सबसे बड़े प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 का प्रयोग करके नौसेना के संचार उपग्रह जीसैट-7 आर (सीएमएस-03) को अंतरिक्ष में भेजा। यह इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह पहली बार है जब उसने चार हजार किलोग्राम से अधिक वजन वाले उपग्रह को भारत की जमीन से सुदूर भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया। शायद इसी वजह से इसको बाहुबली नाम भी दे दिया गया है। यहां यह उल्लेख करना भी बनता है कि इसरो ने 2019 में नौसेना के लिए इस उपग्रह के विकास के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे जो 2013 में प्रक्षेपित किए गए जीसैट 7 रुक्मिणी की जगह लेगा। यह मिशन इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समुद्री क्षेत्र में संचार में सुधार की भारत की क्षमताओं में महत्वपूर्ण इजाफा करेगा। यह प्रक्षेपण एलवीएम-3 रॉकेट की बढ़ती क्षमता की दिशा में भी एक मील का पत्थर है क्योंकि अब तक इसरो अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण का ठेका दूसरे देशों की निजी अंतरिक्ष एजेंसी को देता आया है। इस नजर से अगर देखें तो अंतरिक्ष क्षेत्र में यह केवल एक उपलब्धि एवं कीर्तिमान ही नहीं बल्कि उस विजन की ओर बढ़ते भारतीय कदमों का भी प्रतीक है जिसके तहत भारत अपने संचार नेटवर्क में रक्षा आपदा ढांचे को स्वदेशी तकनीक के सहारे और सुदृढ़ बनाएगा। यहां पर यह बताना भी दिलचस्प है कि इसी एलवीएम-3 रॉकेट के विकसित संस्करण के जरिए इसरो गगनयान मिशन के तहत मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के लिए अपनी योजना बना रहा है। इसरो की यह उपलब्धि चंद्रयान-3 और मंगलयान जैसी सफलताओं की विरासत को आगे बढ़ाएगी जो 1975 में आर्यभट्ट से शुरू होकर आज विश्वस्तरीय क्षमता तक पहुंच चुकी है।
आज भारत की उपलब्धियों ने, सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है।’ जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वह भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आजादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की 11वें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। कीर्तिमानों की लिस्ट यूं तो काफी लंबी है पर आने वाले समय में दुनिया ‘विकसित भारत’ को भी देखेगी; यह हर भारतवासी का विश्वास है।

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