10 करोड़ भारतीयों को हाइपरटेंशन, 31.5 करोड़ डायबिटिक
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डेटा के मुताबिक, भारत में 10.1 करोड़ लोग हाइपरटेंशन के शिकार हैं और 31.5 करोड़ डायबिटिक हैं। फिक्र की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर लोगों को ये नहीं पता है कि उन्हें डायबिटीज या हाइपरटेंशन है।
ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कई बार जिंदगी में सामान्य चल रहा होता है। ऑफिस का काम, घर की जिम्मेदारियां, दोस्तों से मिलना-जुलना और बहुत कुछ सामान्य होता है। इसी बीच शरीर में कुछ ऐसे बदलाव हो रहे होते हैं, जो हमारी आंखों से छिपे रह जाते हैं। ये नॉन कम्युनिकेबल डिजीज हैं, जो शरीर में बिना किसी लक्षण के अंदर-ही-अंदर विस्तार ले रही होती हैं।
‘साइलेंट किलर’
इन बीमारियों को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि इनका पता तब चलता है जब शरीर को बहुत नुकसान हो चुका होता है। ये हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसी खतरनाक कंडीशन की वजह बन सकती हैं।
आज हम जानेंगे कि- •हाइपरटेंशन और डायबिटीज कैसे पहचान सकते हैं?
•इन्हें मापने का सही पैमाना क्या है?
•बीपी और ब्लड शुगर काबू करने के लिए क्या करें?
हल्के-फुल्के लक्षणों को नजरअंदाज न करें
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. एम. के. सिंह कहते हैं कि एक दिन अचानक महसूस होता है कि सबकुछ सही नहीं चल रहा है। अचानक चक्कर आ रहे हैं, सिर में दर्द है, सांस फूल रही है या फिर थकान ज्यादा महसूस हो रही है। यही वो संकेत होते हैं, जिनके जरिए हमारा शरीर ये बताने की कोशिश कर रहा होता है कि कुछ गड़बड़ चल रही है। ज्यादातर लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो खतरनाक हो सकता है।
डायबिटीज और हाई बीपी की
शुरुआत में दिख सकते हैं ये लक्षण
आमतौर पर डायबिटीज के लक्षण शुरुआत में किसी खास रूप में नहीं दिखते। इसमें प्यास ज्यादा लग सकती है, बार-बार पेशाब आ सकता है, लेकिन लोग इसे गर्मी या दिनभर की थकान से जोड़कर नजरअंदाज कर देते हैं। इसी तरह हाई बीपी में सिर दर्द, चिड़चिड़ापन और थकान हो सकती है, लेकिन अक्सर ये लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग इन्हें स्ट्रेस, नींद या कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
•फैमिली हिस्ट्री है तो ज्यादा सावधान रहें
•अगर किसी के परिवार में किसी को डायबिटीज या हाई बीपी की समस्या है तो उसे इसका जोखिम ज्यादा हो सकता है। ये बीमारियां अनुवांशिक रूप से भी खतरा बन सकती हैं। अगर कोई फैमिली हिस्ट्री नहीं है तो लाइफस्टाइल भी एक बड़ा कारण बन सकती है। अगर आदतें ठीक नहीं हैं तो भी इन बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
•nबिना समस्या के कोई चेकअप न करवाना बड़ी गलती है
•nदवाओं से ज्यादा जरूरी है लाइफस्टाइल में सुधार करना
यह एक आम सोच है कि जब बीमारी का इलाज शुरू होता है तो जीवनभर दवाओं का सहारा लेना पड़ेगा लेकिन असल में, दवाइयां बीमारी को कंट्रोल करती हैं, पर जीवनशैली में बदलाव से दवाओं की आवश्यकता कम हो सकती है। एक्सरसाइज, सही आहार, पर्याप्त नींद और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना इन बीमारियों से बचने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
डायबिटीज व हाई बीपी से
बचने के लिए क्या करें?
•रोज के आहार में नमक और चीनी की मात्रा को नियंत्रित करें। नमक की अधिकतम सीमा रोज 5 ग्राम और चीनी का सेवन सीमित रखें।
एक्सरसाइज करें : रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें। यह ब्लड शुगर और बीपी को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
समय से पहले चेकअप करवाएं : नियमित रूप से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच करवाना न भूलें।
7 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें : पर्याप्त नींद से हॉर्मोनल संतुलन सही रहता है, जो डायबिटीज और हाई बीपी को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
स्ट्रेस मैनेज करें : मेडिटेशन, योग, या अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज में समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
बीपी और डायबिटीज से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब
सवाल : क्या डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर हमेशा दवाओं से ही कंट्रोल होता है?
जवाब : नहीं, शुरुआती स्टेज में अगर लाइफस्टाइल में बदलाव कर लिए जाएं- जैसे वजन घटाना, हेल्दी डाइट, नियमित एक्सरसाइज और तनाव कम करना तो इससे दवाओं की जरूरत कम हो सकती है, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
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