होगा अपार, देश का शस्त्रागार
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय सुरक्षाबलों को आपातकालीन खरीद की मंजूरी सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए अपने हथियार भंडार को बढ़ाने व फिर से भरने के लिए दी गई है। इमरजेंसी खरीद-6 की मंजूरी कुछ दिन पहले ही राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा दी गई थी।
पहले चार इमरजेंसी खरीद की अनुमति पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य टकराव के दौरान दी गई थी जबकि पांचवीं आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए थी। ईपी-6 के तहत, सशस्त्र बल सामान्य लंबी-चौड़ी खरीद प्रक्रिया का पालन करने के बजाय पूंजी और राजस्व दोनों प्रमुखों के तहत 300 करोड़ रुपये के प्रत्येक अनुबंध को तेजी से पूरा कर सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट्स को 40 दिनों के भीतर अंतिम रूप दिया जाना है। साथ ही डिलीवरी एक वर्ष में पूरी की जानी है।
तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों की तरफ से शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा। इससे सशस्त्र बलों को मिसाइलों और अन्य लंबी दूरी के हथियारों, लोइटर और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री, कामिकेज ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों के अलावा अन्य हथियारों और गोला-बारूद का भंडार शीघ्रता से बनाने में मदद मिलेगी।
गोला-बारूद का भंडार जल्दी भर सकेंगे
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए निर्धारित समग्र रक्षा व्यय की कुल पूंजी और राजस्व खरीद पर 15 प्रतिशत की सीमा है। अधिकारी ने बताया कि सभी ईपी-6 खरीद वित्तीय सलाहकारों की सहमति से होनी चाहिए जबकि आयात के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि हालांकि वास्तविक व्यय कुल 15 प्रतिशत बाहरी सीमा से कम होने की संभावना है लेकिन यह सेनाओं को तत्काल परिचालन अंतराल को पूरा करने और 7 से 10 मई तक चार दिनों की भीषण शत्रुता में समाप्त हुए अपने गोला-बारूद के भंडार को फिर से भरने के लिए अपेक्षित लचीलापन प्रदान करेगा।
पाकिस्तान पर हुआ इन हथियारों का प्रयोग
भारतीय वायुसेना के विमानों ने अपने सटीक हमलों के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया था जो भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित हैं। इजरायली मूल की हवा से जमीन पर मार करने वाली क्रिस्टल मेज-2 और रैम्पेज मिसाइलें और स्पाइस-2000 सटीक-निर्देशित बम, और फ्रांसीसी मूल की स्कैल्प क्रूज मिसाइलें और हैमर (हवा से जमीन पर मार करने वाली सटीक-निर्देशित गोला-बारूद) तथा इजरायली हारोप और हार्पी कामिकेज ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।
इसी प्रकार सेना की इकाइयों ने स्काईस्ट्राइकर जैसे लोइटरिंग एम्यूनिशन लॉन्च किए। एक्सकैलिबर जैसे ‘स्मार्ट’ विस्तारित रेंज आर्टिलरी गोले भी दागे गए ताकि खास लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सके। सशस्त्र बलों ने बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क के हिस्से के रूप में हथियारों की एक विस्तृत सीरीज का भी इस्तेमाल किया। इनमें इजरायल के साथ संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और स्वदेशी आकाश मिसाइलें भी शामिल थीं।
रक्षा मंत्रालय की ओर से सरकार को फंड बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। इस प्रस्ताव को संसद के नवंबर-दिसंबर के दौरान शीतकालीन सत्र में मंजूरी मिल सकती है। एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस साल के अंत में पूरक बजट के माध्यम से अतिरिक्त धनराशि आवंटित किए जाने की उम्मीद है जिससे संभवतः कुल रक्षा व्यय पहली बार 7 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा।
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट में पहले ही रक्षा के लिए रिकॉर्ड 6.81 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए थे। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के 6.22 लाख करोड़ रुपये से 9.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। यदि अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी मिल जाती है, तो यह सैन्य आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार की रणनीतिक प्राथमिकता को और अधिक रेखांकित करेगा।
सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त बजट को अनुसंधान और विकास, उन्नत हथियारों की खरीद, गोला-बारूद के स्टोर को बढ़ाने में लगाया जा सकता है। भारत नए लड़ाकू विमान और मिसाइलों पर भी खर्च कर सकता है। इस प्रस्ताव को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद की मंजूरी के लिए पेश किए जाने की संभावना है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की शुरुआत से ही रक्षा खर्च में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। 2014-15 में रक्षा मंत्रालय को 2.29 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। मौजूदा बजट न केवल उस आंकड़े को छोटा करता है, बल्कि सभी मंत्रालयों में सबसे बड़ा आवंटन भी दर्शाता है, जो राष्ट्रीय बजट का 13 प्रतिशत है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारतीय सेना के स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को उन्नत तकनीकों के साथ एकीकृत करने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। विशेष रूप से, इस ऑपरेशन ने भारत की एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत को प्रदर्शित किया, जिसमें स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली भी शामिल है, जिसकी तुलना अक्सर इजरायल के आयरन डोम से की जाती है।
भारत को मिलने वाला है नया काउंटर-ड्रोन सिस्टम
इससे संबंधित एक घटनाक्रम में, हाल ही में भारत ने भार्गवास्त्र नामक एक नए ड्रोन-रोधी हथियार का भी परीक्षण किया है। इसे ‘हार्ड किल’ मोड में संचालित करने वाले कम लागत वाले काउंटर-ड्रोन सिस्टम के रूप में डिजाइन किया गया है, यह हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए माइक्रो-रॉकेट का उपयोग करता है। इस सिस्टम का इस सप्ताह की शुरुआत में ओडिशा के गोपालपुर में सीवर्ड फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण किया गया था।
The post होगा अपार, देश का शस्त्रागार appeared first on World's first weekly chronicle of development news.
News