लाइफस्टाइल बदलकर काफी कम किया जा सकता है अल्जाइमर का खतरा

ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। क्या अल्जाइमर आनुवंशिक रोग है, जेनेटिक बीमारी है? ऐसे सवाल जब तब दिमाग में आ जाते हैं। एक व्यक्ति ने कहा, मेरे दादाजी को एक्यूट अल्जाइमर था। अपने जीवन के आखिरी दस सालों में वो सबकुछ भूल गए थे। घर में किसी को भी नहीं पहचानते थे। अपने बच्चों को भी नहीं। ऐसी हालत में उन्हें संभालना काफी चैलेंजिंग होता था क्योंकि वो कभी भी घर से निकल जाते और उन्हें घर का रास्ता भी याद नहीं रहता था। हमें हर वक्त उनके गले में घर का एड्रेस और फोन नंबर लिखी हुई चिट टांगकर रखनी पड़ती थी। उनकी डेथ को 8 साल हो चुके हैं। पिछले कुछ समय से मेरे पापा में भी अल्जाइमर के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं। वो छोटी-छोटी चीजें भूल जाते हैं।
डॉक्टर का कहना है कि ये अल्जाइमर की शुरुआत है। मेरी उम्र अभी 36 साल है। तीन साल पहले मेरी शादी हुई थी और मेरा 1 साल का एक बेटा है। मेरी चिंता ये है कि अगर ये अल्जाइमर जेनेटिक है और मेरी फैमिली में ही रन कर रहा है तो एक-न-एक दिन मुझे भी अल्जाइमर हो जाएगा और मेरे बेटे को भी। इन सवालों का एक साइकेट्रिस्ट ने सिलसिलेवार जवाब दिया। उनके अनुसार दादा और अब पिता, दोनों में अल्जाइमर के लक्षण रहे हों तो अगली पीढ़ी में जोखिम सामान्य आबादी की तुलना में 1.5–3 गुना अधिक होता है।
यदि माता-पिता, दोनों में अल्जामर हो तो यह जोखिम 5 गुना तक भी हो सकता है।
रिस्क फैक्टर: हालांकि फैमिली हिस्ट्री सिर्फ एक रिस्क फैक्टर है। रिस्क फैक्टर होने का मतलब यह नहीं कि आपको यह बीमारी जरूर होगी।

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