शुभांकर मिश्रा की 'कचहरी' में उठा मुद्दा, प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को कैसे बना दिया प्रोडक्ट?
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि एक जूनियर इंजीनियर की सालभर की तनख्वाह एक साल की फीस में ही चली जाती है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में फीस तो नहीं पर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है.
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