प्रदेश में सरकार बनाएगी 111 किमी लंबा कांवड़ यात्रा कॉरिडोर
ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। योगी सरकार ने कांवड़ यात्रियों के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की है। गाजियाबाद के मुरादनगर से लेकर उत्तराखंड सीमा के पास पुरकाजी तक 111 किलोमीटर लंबा कांवड़ मार्ग विकसित किया जाएगा। यह मार्ग गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों से होकर गुजरेगा और इसे चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग के नाम से जाना जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 7000 करोड़ रुपये है, जिसे उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया जाएगा।
यह मार्ग ऊपरी गंगा नहर के दाईं ओर बनाया जाएगा, जो गाजियाबाद के मुरादनगर से शुरू होकर मेरठ के सरधना और जानी होते हुए मुजफ्फरनगर के पुरकाजी तक जाएगा। यह सड़क ‘अन्य जिला सड़क’ (ओडीआर) के रूप में वर्गीकृत होगी और भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) के मानकों के अनुसार 15-25 मीटर की चौड़ाई के साथ निर्मित होगी। सड़क में दो लेन होंगी, जो मुख्य रूप से कांवड़ यात्रियों की सुविधा के लिए डिज़ाइन की गई है, लेकिन सामान्य समय में हल्के वाहनों के लिए भी खुली रहेगी।
श्रद्धालु कर सकेंगे सुरक्षित यात्रा
इस मार्ग का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार जाने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम यात्रा प्रदान करना है। वर्तमान में, कांवड़ यात्रियों को दिल्ली-मेरठ सड़क (एनएच-58) पर भारी ट्रैफिक और अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है।
यह नया मार्ग न केवल यात्रियों की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि दिल्ली-मेरठ सड़क पर 10-15 दिनों के लिए होने वाले ट्रैफिक अवरोध को भी कम करेगा।
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अनुसार, इस परियोजना को तीन जिलों में विभाजित किया गया है। गाजियाबाद: 12 किमी, मेरठ: 42 किमी बाकी का हिस्सा मुजफ्फरनगर में बनेगा। इस सड़क के निर्माण के लिए 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि का उपयोग होगा, जिसके लिए 33,776 परिपक्व पेड़ और 78,946 छोटे पौधों को काटा जाएगा। इसके बदले में, उत्तर प्रदेश सरकार ने ललितपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में 445.96 हेक्टेयर गैर-वन भूमि पर 484,720 पौधे लगाने की योजना बनाई है। इसके अतिरिक्त, मेरठ जिले में परियोजना स्थल के पास 21,028 पौधे लगाए जाएंगे। इस पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए लगभग 28.6 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
परियोजना को मिल चुकी है वित्तीय मंजूरी
परियोजना को वित्तीय समिति से मंजूरी मिल चुकी है और इसे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) और क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) जैसी अन्य प्रमुख परियोजनाओं के साथ एकीकृत किया जाएगा। यह मार्ग दिल्ली, नोएडा, और उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, और देहरादून तक पहुंच को और आसान बनाएगा। इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा देगी।
मेरठ और मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में लॉजिस्टिक्स हब, स्मार्ट सिटी परियोजनाएं और मिश्रित उपयोग के लिए ट्रांजिट-उन्मुख क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। यह मार्ग इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और रियल एस्टेट, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
– कांवड़ यात्रा कॉरिडोर निर्माण में 7000 करोड़ की आएगी लागत
– चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग के नाम से जाना जाएगा
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