जलेबी की तरह ही घुमावदार है उसका इतिहास, जानिए कैसे मीलों लंबा सफर तय तक बनी हमारी फेवरेट
Jalebi ka Itihaas: यह कहानी है उस जलेबी की जो सर्दियों की सुबह में अखबार और चाय के साथ आती है, जो मेले में बच्चों के हाथ में झूलती है, और जो मोहल्ले की मिठाई की दुकान में “भैया, गरम दे देना” कहकर ज़रूर मांगी जाती है. तो चलिए जानते हैं उस जलेबी के बारे में, जिसने स्वाद ही नहीं बल्कि रिश्तों को भी पक्का किया है.
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