88 लाख भारतीयों को डिमेंशिया
नई दिल्ली। अल्जाइमर एंड डिमेंशिया एसोसिएशन के जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 88 लाख लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। ‘द लैंसेट पब्लिक हेल्थ’ के मुताबिक, यह संख्या 2050 तक बढ़कर 1 करोड़ 14 लाख तक हो सकती है। भारत में उम्रदराज लोगों की आबादी बढ़ रही है। इसलिए भविष्य में डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ रहा है।
डिमेंशिया एक ऐसी कंडीशन है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इससे याद रखने, सोचने की क्षमता और सामान्य व्यवहार में मुश्किल होने लगती है। यह कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाली कई बीमारियों का समूह है। इसके सबसे आम लक्षण मेमोरी लॉस, स्पष्ट बातचीत करने में कठिनाई और रोज के कामों में परेशानी होना है। आमतौर पर यह बीमारी उम्र बढ़ने के साथ होती है। हालांकि, यह समझना बहुत जरूरी है कि यह बढ़ती उम्र का सामान्य हिस्सा नहीं है। कई लोगों को 100 वर्ष की उम्र तक भी डिमेंशिया नहीं होता।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज और फिजिकल एक्टिविटी कम करने से डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है। अगर इन समस्याओं से बचाव कर लें तो आपका मस्तिष्क स्वस्थ बना रह सकता है।
इन कारणों से बढ़ता है डिमेंशिया
उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र में इसका जोखिम सबसे ज्यादा होता है। असल में ये वह उम्र है, जब डिमेंशिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगते हैं जबकि इसकी शुरुआत बहुत पहले हो चुकी होती है।
सभी कारणों को विस्तार से समझते हैं-
1. मस्तिष्क में उम्र संबंधी बदलाव : उम्र बढ़ने पर मस्तिष्क के कुछ हिस्सों का आकार छोटा होने लगता है। खासकर हिप्पोकैम्पस छोटा हो जाता है, जो याददाश्त और कुछ सीखने के लिए जरूरी होता है। इसके कारण याद रखने की क्षमता घटने लगती है और धीरे-धीरे डिमेंशिया के लक्षण दिखने लगते हैं।
2. खास प्रोटीन का जमाव : अल्जाइमर रोग में दो तरह के हानिकारक प्रोटीन, बीटा-एमीलॉइड और टाऊ मस्तिष्क में इकट्ठा हो जाते हैं। ये प्रोटीन आपस में प्लेक और टैंगल्स बनाते हैं, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संपर्क टूटने लगता है और वे मरने लगती हैं।
3. ब्लड फ्लो की समस्या : जब मस्तिष्क को पूरा खून और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, तो कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का संकुचित होना) या स्ट्रोक से मस्तिष्क की नसें बंद हो सकती हैं, जिससे वैस्कुलर डिमेंशिया हो सकता है।
4. क्रॉनिक इंफ्लेमेशन : अगर शरीर या मस्तिष्क में लंबे समय तक इंफ्लेमेशन बना रहता है, तो यह न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाता है। यह इंफ्लेमेशन क्रॉनिक डिजीज, मोटापे या संक्रमण के कारण हो सकता है।
5. ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस : फ्री रेडिकल्स मस्तिष्क की कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। यह आंतरिक प्रक्रिया मस्तिष्क में एक तरह का जंग पैदा करती है, जो उम्र बढ़ने के साथ तेज हो जाती है और डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है।
6. हॉर्मोन में बदलाव : महिलाओं में मीनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल गिर जाता है। यह हॉर्मोन मस्तिष्क की रक्षा करता है। इसकी कमी से मस्तिष्क की कोशिकाएं जल्दी कमजोर होने लगती हैं, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है।
7. अनुवांशिक कारण : अगर परिवार में किसी को डिमेंशिया या अल्जाइमर रहा हो, तो आपके अंदर भी इसका जोखिम हो सकता है, खासकर अगर किसी के जीन में एपीओई-ई4 नामक जीन मौजूद है। हालांकि स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाकर इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
8. खराब लाइफस्टाइल : जंक फूड, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और अत्यधिक शराब जैसी आदतें मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाती हैं। ये आदतें शरीर में सूजन, ब्लड फ्लो की गड़बड़ी और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाकर डिमेंशिया के खतरे को कई गुना बढ़ा देती हैं।
9. क्रॉनिक डिजीज : डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां मस्तिष्क की नसों और कोशिकाओं पर बुरा असर डालती हैं। इनका इलाज न करवाने से मस्तिष्क को सही पोषण नहीं मिल पाता, जिससे याददाश्त पर असर पड़ता है।
10. अकेलापन और तनाव : लंबे समय तक अकेले रहना, डिप्रेशन में रहना या सामाजिक संपर्क कम होना मस्तिष्क की गतिविधियों को धीमा कर देता है। इससे कॉग्निटिव फंक्शनिंग में यानी सोचने, समझने और याद रखने की ताकत में गिरावट आने लगती है।
40 के बाद डिमेंशिया से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
डिमेंशिया को पूरी तरह से नहीं रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके बेहद शुरुआती लक्षण 40 की उम्र में ही दिखने लगते हैं। डिमेंशिया रोकने के लिए जरूरी उपाय –
1. मेंटल हेल्थ के लिए हेल्दी डाइट लें
2. हर दिन कुछ न कुछ सीखते रहें
3. हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज करें
4. सोशल बनें, अकेले न रहें
5. तनाव को समय रहते मैनेज करें ।
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