'ये मन बंजारा रे' : उत्तराखंड के पहाड़, समाज और स्वयं की यात्रा
गीता गैरोला की किताब 'ये मन बंजारा रे' यात्रा वृत्तांत के साथ समाज, पर्यावरण और आत्मा की गहन समझ प्रस्तुत करती है.
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