मनीषा कोइराला ने स्पिरिचुअलिटी और ज़िंदगी पर कहा- जिंदगी से अलग नहीं मौत, 'तुम वैसे ही मरते हो जैसे जीते थे'

मनीषा कोइराला ने लिखा, "मैं हमेशा से मौत को समझना चाहती थी — कहीं गहरे में, मुझे लगा कि इसे सही मायने में समझने पर, शायद मेरा इससे डर भी खत्म हो जाए.

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