एक विदाई ऐसी भी: गले लगाया, फूट-फूटकर रोये... SHO साहब का तबादला सह नहीं सके लोग
SHO राम मनोहर मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर वर्दी में दिल हो, तो वो डर नहीं, अपनापन बन जाती है. वह केवल एक SHO नहीं, समाज के मार्गदर्शक बन गए. जब उनका ट्रांसफर हुआ, तो ऐसा लगा मानो किसी प्रियजन की विदाई हो रही हो.
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