पाक के साथ बॉर्डर पर चीन को भी होगी नई टेंशन!
डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। भारत ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ ही बॉर्डर पर चीन की टेंशन बढ़ाने जा रहा है। आकाश से भारत की निगरानी शक्ति को बड़ा बढ़ावा मिलने वाला है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 18 मई को ईओएस-09 (आरआईसैट-1बी) रडार इमेजिंग सैटेलाइट को सूर्य-समकालिक कक्षा में ले जाने वाले पीएसएलवी-सी61 मिशन को लॉन्च करने वाली है। लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय समयानुसार सुबह 6.59 बजे निर्धारित है।
मौसम का नहीं पड़ेगा असर
निगरानी सैटेलाइट भारत की पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं को मजबूत करेगा क्योंकि ईओएस-09 अत्याधुनिक सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार से लैस है। यह इसे मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना पृथ्वी की सतह की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों को कैप्चर करने में सक्षम बनाता है। सैटेलाइट अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और चीन के साथ संवेदनशील सीमाओं पर भारत की निगरानी को बढ़ावा देने और विशाल तटरेखाओं की रखवाली करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दुश्मन की संदिग्ध हरकतों पर नजर
ऑप्टिकल सैटेलाइट के विपरीत, जो बादलों या अंधेरे से जूझते हैं, आरआईसैट-1बी का सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार इन बाधाओं को पार कर सकता है। यह क्षमता घुसपैठ का पता लगाने, संदिग्ध दुश्मन की हरकतों पर नजर रखने और आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण है।
सीमा पर तनाव बढ़ने के साथ, सैटेलाइट की निरंतर और विश्वसनीय खुफिया जानकारी प्रदान करने की क्षमता भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक रणनीतिक संपत्ति है।
कैसे काम करेगा आरआईसैट-1बी
आरआईसैट-1बी में पांच अलग-अलग इमेजिंग मोड हैं। ये छोटी वस्तुओं का पता लगाने के लिए एक मीटर तक की अल्ट्रा-हाई- रिजॉल्यूशन इमेजिंग और बड़े क्षेत्र को देखने के लिए व्यापक स्कैन के बीच स्विच करने की सुविधा प्रदान करते हैं। यह अनुकूलनशीलता इसे सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए काम करने में सक्षम बनाती है।
ईओएस-09 (आरआईसैट-1बी) समान विन्यास वाले आरआईसैट-1 उपग्रह का फॉलोऑन है। यह रिसोर्ससैट, कार्टोसैट और आरआईसैट-2बी सीरीज सैटेलाइट्स से प्राप्त डेटा का पूरक है। आरआईसैट-1बी का सी-बैंड एसएआर कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान, समुद्री बर्फ, तटीय निगरानी, वस्तु पहचान और बाढ़ निगरानी जैसे नागरिक अनुप्रयोगों के लिए भी उपयोगी होगा।
सर्जिकल स्ट्राइक में थी खास भूमिका
रीसैट सीरीज के सैटेलाइट, विशेष रूप से रीसैट-2, इससे पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी लॉन्चपैडों पर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के लिए तस्वीरें उपलब्ध कराने में सहायक रहे थे। इसके बाद 2019 के बालाकोट हवाई हमले में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख वी नारायणन ने बताया है कि इसरो के 10 सैटेलाइट्स (उपग्रह) देश की सुरक्षा के लिए लगातार रणनीतिक उद्देश्य से निगरानी कर रहे हैं। इंफाल में सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए वी नारायणन ने ये जानकारी दी। इसरो प्रमुख ने कहा कि ‘कम से कम 10 सैटेलाइट्स लगातार 24 घंटे रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति और देशवासियों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं।’ वी नारायणन ने कहा कि ‘आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं। ऐसे में हमें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैटेलाइट्स की मदद लेनी पड़ती है। हम 7000 किलोमीटर का इलाका कवर कर रहे हैं। साथ ही पूरे उत्तर पूर्व पर भी लगातार निगरानी की जा रही है और बिना सैटेलाइट्स और ड्रोन की मदद के हम इसे हासिल नहीं कर सकते।’
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