पाक के दांत खट्टे करने वाले आकाश मिसाइल सिस्टम के शेयर बने रॉकेट
ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने में स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने जबरदस्त भूमिका निभाई है। भारतीय सशस्त्र बलों ने आकाश मिसाइल सिस्टम के जरिये पाकिस्तान के हर हमले को विफल किया। इसके बाद भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक लिमिटेड (बीडीएल) के शेयरों में तगड़ा उछाल आया है। एक समय बीडीएल के शेयर 9.73 फीसदी बढ़कर 1,595 रुपये पर पहुंच गए थे। ये 5.34% चढ़कर 1531.15 रुपये पर बंद हुए। वहीं, बीईएल के शेयर भी करीब 3 फीसदी बढ़कर 315.75 रुपये पर पहुंच गए। यह उछाल ऐसे समय में आया जब बीएसई सेंसेक्स लगभग 880 अंक गिरकर 79,454 पर बंद हुआ। आकाश मिसाइल सिस्टम और आकाश वेपन सिस्टम (एडब्ल्यूएस) भारत में बने हैं। इनका इस्तेमाल 15 भारतीय शहरों पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए किया गया।
आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम एक मध्यम दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला सिस्टम है। इसकी रेंज 80-120 किलोमीटर है। यह हवाई हमलों से सुरक्षा करता है। यह सिस्टम मोबाइल, सेमी-मोबाइल और स्थिर संपत्तियों की रक्षा करता है। इसमें आधुनिक विशेषताएं हैं और यह किसी भी इलाके में चल सकता है।
बीईएल की वेबसाइट के अनुसार, आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम रियल-टाइम मल्टी-सेंसर डेटा प्रोसेसिंग का इस्तेमाल करता है। इससे खतरों का पता चलता है। यह एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक और एंगेज कर सकता है। यह सिस्टम लचीला है और इसे स्वायत्त और समूह मोड दोनों में चलाया जा सकता है। मिसाइल कमांड गाइडेंस का उपयोग करती है। इसे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए फेज्ड एरे रडार की ओर से निर्देशित किया जाता है।
दूसरी ओर बीडीएल आकाश वेपन सिस्टम का निर्माण करती है। यह एक कम दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। इसकी रेंज 4.5 किलोमीटर से 25 किलोमीटर है। यह संवेदनशील क्षेत्रों और महत्वपूर्ण स्थानों को हवाई हमलों से बचाता है। एडब्ल्यूएस एक साथ कई लक्ष्यों को एंगेज कर सकता है। यह स्वायत्त और समूह संचालन दोनों का समर्थन करता है। बीडीएल के अनुसार, सिस्टम में बिल्ट-इन इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर्स (ईसीसीएम) हैं। यह बेहतर परिचालन लचीलेपन के लिए पूरी तरह से मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगाया गया है।
The post पाक के दांत खट्टे करने वाले आकाश मिसाइल सिस्टम के शेयर बने रॉकेट appeared first on World's first weekly chronicle of development news.
News