रिपोर्टर की डायरी: हमें तो बस ज़िंदा रहना है...गोलाबारी के बीच पुंछ से लौट रहे प्रवासी मजदूरों का दर्द
India Pakistan attack: मैंने संघर्ष पहले भी कवर किया है...मैंने उस नाज़ुक रेखा पर चलना सीखा है — जहां शांति और संकट एक-दूसरे की सांसों में घुलते हैं.लेकिन राजौरी में बीते कुछ दिनों में जो देखा, वह मेरी स्मृति में गोली की आवाज़ या पहाड़ियों में उठते धुएं के लिए नहीं बस गया...बल्कि उन लोगों की चुप्पी के लिए — जो बेआवाज़ निकलते जा रहे थे. पढ़िए पुंछ से रिपोर्टर की डायरी...अनुराग द्वारी की कलम से
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